बुधवार, दिसंबर 29, 2010

bachpan ka safar

अपने बचपन का सफ़र याद आया
मुझको परियों का नगर याद आया

कोई पत्ता हिले न जिसके बिना
रब वहीं शाम-ओ-सहर याद आया

इतना शातिर वो हुआ है कैसे
है सियासत का असर याद आया

रोज़ क्यूँ सुर्ख़ियों में रहता है
है यही उसका हुनर, याद आया

जब कोई आस ही बाक़ी न बची
मुझको बस तेरा ही दर याद आया

जो नहीं था कभी मेरा अपना
क्यूँ मुझे आज वो घर याद आया

उम्र के इस पड़ाव पे आकर
क्यूँ जुदा होने का डर याद आया

माँ ने रख्खा था हाथ जाते हुए
फिर वही दीद-ऐ-तर याद आया

जिसकी छाया तले ‘किरण’ थे सब
घर के आँगन का शजर याद आया

गुरुवार, अक्तूबर 21, 2010

एक सुहाना...सफर है जिंदगी

अक्सर ऐसे लोग मिल जाते हैं जिनके लिए ज़िंदगी बहुत कठिन होती है। ऐसे लोगों को अपने जीवन में बस मुश्किलें ही नजर आती हैं। हर वक्त उन्हें लगता है कि वे ही दुनिया के सबसे दुखी और परेशान प्राणी हैं। ऐसे अनेक लोगों को तो यह ज़िंदगी जीने के काबिल भी नहीं लगती।

यह सही है कि ज़िंदगी में दुख-तकलीफों और परेशानियों से मुठभेड़ होती ही रहती है। ऐसा दुनिया के हर इंसान के साथ होता है। हर आदमी की अपनी-अपनी परेशानियाँ होती हैं। जब तक ये जीवन है तब तक ये मुसीबतें तो रहेंगी ही। तो फिर क्या करें? चलिए जानते हैं।

उनकी जगह आप होते तो...
लोग अक्सर यही सोचकर परेशान होते हैं कि ये मुसीबतें हमारे ही हिस्से में क्यों? बेहतर होगा यदि यह सोचा जाए कि हमारी जगह अगर कोई और व्यक्ति होता तो वह ऐसे हालात में क्या करता? ऐसा सोचने पर आपकी कल्पना में ऐसे दृश्य उभरने लगेंगे जिनमें उस व्यक्ति ने उस मुश्किल का कोई न कोई हल निकाल लिया होगा। ऐसा सोचने से आपको बल मिलेगा तब आप यह सोच सकते हैं कि अगर वह व्यक्ति इस मुसीबत से निकल सका है तो हम क्यों नहीं निकल सकते।

बी ए ग्रेट वॉरि‍यर
अगर हम अपना नजरिया ऐसा बना लें कि हम सैनिक हैं और हमें परेशानियों, मुसीबतों और मुश्किलों रूपी दुश्मनों को खत्म करना है, तो हमारी ज़िंदगी बहुत हद तक बदल सकती है। अपने पर्सनालि‍टी में मुसीबतों से लड़ने और उन पर विजय पाने की भावना बना लें। तब हम कठिनाइयों से भागेंगे नहीं बल्कि डटकर उनका मुकाबला करते हुए उन पर जीत हासिल करेंगे।

मुश्कि‍लें तो आएँगी
अगर प्रॉब्लम्स को एक्‍सेप्‍ट कर लि‍या जाए तो लाइफ की आधी से ज्‍यादा प्रॉब्लम्‍स तो यूँ ही सॉल्‍व हो जाएँगी। अजीब हैं ना... लेकि‍न वाकई में अगर यह सोचा जाए कि प्रॉब्लम्स को तो रहना ही है और इनकी मौजूदगी में ही मंजिल पाना है तो, हमारे सोचने का तरीका काफी हद तक ऑप्‍टि‍मि‍स्‍ट हो जाएगा।

मुश्किलों को अलग-अलग करके हल करें
अपनी सारी मुश्किलों के बारे में एक साथ सोचेंगे तो इससे मुश्किलें और भी बढ़ने लगेंगी, इसलिए इन्हें एक-एक करके हल करने की कोशिश कीजिए। ऐसा करने से अपनी कठिनाइयों का बेहतर समाधान आप पा सकेंगे।

प्रॉब्लम्स को हौवा न बनने दें
प्रॉब्लम्स के आने से पहले ही उनके बारे में सोच-सोच कर उन्हें बड़ा वनने का मौका न दें। आने वाली मुसीबतों से बचने के लिए पहले से ही कोई उपाय सोचकर रखना कोई गलत बात नहीं, पर मुसीबतों के आने से पहले ही हरदम उनके बारे में सोच-सोच कर अपने आज को बिगाड़ लेना भी ठीक नहीं। आने वाली मुसीबतों के बारे में यह सोचिए कि जब मुश्किल आएँगी, तब देखा जाएगा, अभी से उनकी चिंता क्यों करें? हो सकता है कि वे मुसीबतें आपके जीवन में कभी आएँ ही नहीं।

तो आइए अपनी परेशानी के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलें। दृष्टिकोण बदलेगा तो जीवन भी बदलेगा।

सोमवार, अक्तूबर 18, 2010

एवि‍एशन इंडस्‍ट्री और करि‍यर के ऑप्‍शंस

एवि‍एशन इंडस्‍ट्री के क्षेत्र में आज करि‍यर के कई ऑप्‍शंस खुले हैं। युवाओं के पसंदीदा क्षेत्रों में एवि‍एशन इंडस्‍ट्री बहुत लोकप्रि‍य वि‍कल्‍प माना जाता है। लड़कों में जहाँ एरोनॉटि‍कल इंजीनि‍यर बनने की चाह रहती है वहीं लड़कि‍यों में एयर होस्‍टेज बनने का क्रेज कायम है। लेकि‍न इन दोनों के अलावा भी एविएशन इंडस्ट्री में कई ऐसे अन्‍य सेक्टर्स भी हैं जि‍नमें आप करि‍यर की राह ढूँढ सकते हैं। एयरोनॉटिकल इंजीनियर्स : हवाई बेड़ों के रख-रखाव और मरम्मत हेतु एयरोनॉटिकल इंजीनियर्स की नियुक्ति करना इन एयरलाइंस की मजबूरी है। बीई, बीटेक डिग्री धारक इन इंजीनियरों को अनुभव और काबिलियत के आधार पर मोटा वेतन दिया जाता है। एयर होस्टेज : हवाई यात्रा को सुखद, अरामदायक और तनावरहित बनाने के लिए खूबसूरत और अपने कार्य में दक्ष युवतियों को एयरहोस्टेज के रूप में ये एयरलाइंस कंपनियां नियुक्त करती हैं। प्रायः ग्रेजुएट और हॉस्पीटेलिटी इंडस्ट्री से संबंधित ट्रेनिंग प्राप्त युवतियों को इसके लिए चुना जाता है।

कस्टमर केयर : आज के दौर में ग्राहकों की संतुष्टि का प्रत्येक कारोबारी कंपनी के लिए अतिरिक्त महत्व है। यही कारण है कि कस्टमर फ्रेंडली होने के अलावा ग्राहकों की असुविधाओं को न्यूनतम करते हुए आरामदायक हवाई यात्रा सुनिश्चित करने के क्रम में इन कस्टमर सपोर्ट एवजीन्यूटिव को बड़े पैमाने पर प्रत्येक एयरलाइंस द्वारा नियुक्त किया जाता है।

टिकट रिजर्वेशन : प्रत्येक बड़े शहर और एयरपोर्ट पर इंटरनेट टेलीकॉलिंग अथवा डायरेक्ट सेलिंग हेतु इन एयरलाइंसों द्वारा एयर टिकटों को बिक्री हेतु काउंटर बनाए जाते हैं इनमें ग्रेजुएट युवाओं को प्राथमिकता दी जाती है।

पायलट : निस्संदेह एयर सेवा में यात्रियों को गंतव्य तक सही सलामत पहुंचाने का सबसे बड़ा दायित्व पायलट के कंधों पर होता है। इसलिए ट्रेंड और उड़ान का खासा अनुभव रखने वाले पायलेटों को ये एयरलाइंस आकर्षक वेतन पैकेज पर नियुक्त करती है। इनके अलावा एकाउंट्स, एडमिनिस्ट्रेशन, फ्लाइट स्वीवर्ड, मार्केटिंग, पब्लिक रिलेशंस, कैटरिंग तथा टैक्नीकल विभागों के लिए बड़ी संख्या में टेण्ड युवाओं को एयर लाइंस कंपनियों द्वारा नियुक्त किया जाता है। एविएशन इंडस्ट्री में काम करने का एक बड़ा फायदा मुफ्त में देश-विदेश की सैर, फाइव स्टार होटलों में रहने का मौका तथा विश्व की नामी हस्ति‍यों से मिलने के अवसर के रूप में भी इन कर्मियों को बोनस के रूप में मिलता है।

शुक्रवार, अक्तूबर 15, 2010

असफलता भी सीखाती है

'यदि आप रसातल में पहुँच चुके हैं तो आप खुशकिस्मत हैं कि अब आपकी यात्रा केवल एक ही दिशा में होगी और वह है ऊपर की ओर।' अनूठे सकारात्मक चिंतन को दर्शाता 'नार्मन विसेंट पील' का उक्त मूलमंत्र असफलताओं से घिरे व्यक्ति की इच्छा-शक्ति को जगा सकता है। असफलता एक सामान्य प्रक्रिया है और यदि असफलताओं को सकारात्मक नजरिए से देखा जाए तो ये बेहद रचनात्मक साबित हो सकती है। यदि आप भी असफलताओं के दौर से गुजर रहे हैं तो ये कुछ कारगर उपाय अपना सकते हैं:- असफलता का स्वागत करें कहते हैं हर बाधा के पार एक अवसर इंतजार करता है। बस आप उम्मीद का दामन थामे रहिए। असफलता के कड़वे घूँट में सृजन के तत्व समाए रहते हैं। इसलिए बहुत बार असफलता किसी महत्वपूर्ण रचनात्मक कार्य की शुरुआत बन भाग्योदय की वजह बन जाती है। यदि आप असफलताओं के दौर में हैं तो धैर्यपूर्वक अपना उत्साह पूर्ववत कायम रखें। सोचें कुछ हटकर हम अपनी छोटी-सी जिंदगी में ढेरों सपने सँजोए रहते हैं। असफलता का दौर हमें अपने जीवन के लक्ष्यों से इतर सोचने का मौका देता है। इसलिए यह समय काफी अनुकूल साबित हो सकता है। इस समय किसी नई तकनीक या कला का प्रशिक्षण लिया जा सकता है। ऐसी कोशिशें न केवल नकारात्मकता के भाव को कुछ कम कर सकती हैं, बल्कि कुछ नया करने का एहसास उक्त समय की पीड़ा पर मरहम का काम करेगा और दिलो-दिमाग को एक नए रोमांच एवं अनुभूतियों से भर देगा। करें अच्छे वक्त का इंतजार एक प्रसिद्ध लेखक कहते हैं महान लोग वे भी हैं, जो इंतजार करते हैं। समय की ताकत का भरोसा कीजिए, क्योंकि बड़ी से बड़ी निराशा घोर मानसिक पीड़ा या भारी असफलाओं से उपजा दुख भी वक्त बीतने पर भर जाता है। वक्त हमेशा एक-सा नहीं रहता। बुरा वक्त यही दर्शाता है कि अब आपका अच्छा वक्त शुरू होने वाला है। कहें किसी अपने से नाजुक दौर में अपनी दुख तकलीफें, किसी अपने के साथ बाँट लीजिए। इससे आप हल्का महसूस करेंगे। कहा जाता है कि कहने से दुख कुछ कम हो जाता है। नई संभावनाएँ तलाशे ऐसे दौर में आप हताश न हों, बल्कि स्वयं के लिए नई संभावनाएँ तलाशें। एक रास्ता बंद होता है तो अनेक रास्ते खुल जाते हैं। याद रखें सबसे बड़ी हार स्वयं को हारा मान लेना है। अगर आपके मन में जुनून है तो उन्नाति का पथ बेहद विस्तृत एवं सीमाहीन होता है।

गुरुवार, अक्तूबर 07, 2010

हिन्दुत्व के प्रमुख तत्व

हिन्दुत्व के प्रमुख तत्व Hinduism-ब्रह्म या परम तत्त्व सर्वव्यापी हैईश्वर से डरें नहीं, प्रेम करें और प्रेरणा लेंहिन्दुत्व का लक्ष्य स्वर्ग-नरक से ऊपरहिन्दुओं में कोई पैगम्बर नहीं हैपरोपकार: पुण्याय पापाय परपीडनम्प्राणि-सेवा ही परमात्मा की सेवा हैसती का अर्थ पति े प्रति सत्यनिष्ठा हैहिन्दुत्व का वास हिन्दू के मन, संस्कार और परम्पराओं मेंपर्यावरण की रक्षा को उच्च प्राथमिकताहिन्दू दृष्टि समतावादी एवं समन्वयवादीहिन्दुओं के पर्व और त्योहार खुशियों से जुड़े हैंहिन्दुत्व का लक्ष्य पुरुषार्थ है और मध्य मार्ग को सर्वोत्तम माना गया है

रविवार, अक्तूबर 03, 2010

अयोध्या वीवाद और एक दलीत कारसेवक...

अयोध्या में राम मंदिर पर फ़ैसले की घड़ी नज़दीक आई तो उसको याद आया वो भी एक हिंदू कारसेवक था और मंदिर के लिए अयोध्या तक गया था.

मगर अब वो महज़ एक दलित है, तब अयोध्या में विवादित ढांचा टूटा था, लेकिन विश्व हिंदू परिषद् के सक्रिय कार्यकर्ता रहे जयपुर ज़िले के चकवड़ा गांव के हरिशंकर बेरवा अपने गाँव लौटे और जो कुछ देखा उससे उनका दिल टूट गया.

उन्हें सहसा याद दिलाया गया कि वो महज़ एक दलित हैं, वो हिंदू तो हैं, मगर दर्जे से दोयम हैं.

इसीलिए टूटे हुए दिल के हरिशंकर कहते है, '' फिर मंदिर के लिए कार सेवा का आव्हान हुआ तो वो ख़ुद तो क्या कोई भी दलित अयोध्या का रुख़ नहीं करेगा.''

हरिशंकर कारसेवक के रूप में चकवड़ा से गए कोई 10 लोगों के जत्थे में अकेले दलित थे.

वो कहने लगे,'' हम वहाँ मर भी सकते थे, गोलियाँ चलीं कई लोग ज़ख़्मी हुए थे, पकड़े गए तो 15 दिन बुलंदशहर जेल में भी रहे, तब बताया गया कि हम सब हिंदू हैं, न कोई ऊंच है न नीच. पर ये सब फ़रेब था.''

मंदिर मुद्दे पर हरीशंकर कार सेवा में आयध्या तक गए

हरिशंकर की ज़िंदगी में तब तूफ़ान आया जब गाँव के साझा तालाब में दलितों ने सदियों पुरानी उस परंपरा को बहुत सरल भाव से तोड़ने का प्रयास किया जिसमें दलित के लिए अलग घाट बना हुआ था.

उनका कहना था, " उस दिन 'सब हिंदू बराबर है' की मानस पर अंकित तस्वीर टुकड़े टुकड़े हो गई जब हम पर जुर्माना लगाया गया, अपमानित किया गया, हमले के लिए हिंदुओं की भीड़ जमा हुई और तालाब में दलितों के घाट से अलग पानी लेने पर गंभीर परिणामों की चेतावनी दी गई."

"उस दिन मेरा मन बार-बार ये ही पूछता रहा क्या हम हिंदू नहीं है? अगर हिंदू हैं तो फिर ये सलूक क्यों?" ये सवाल उठाते हुए हरिशंकर के चेहरे पर कई भाव चढे़ उतरे.

वो कहने लगे, ''एक विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता के नाते मैं अभिभूत था. लगा अभी साधू संत आएंगे, अभी प्रवीण तोगड़िया जी आएंगे. हम उन तक गए, गुहार भी की. मगर दलित के लिए कौन बोलता? क्योंकि वो कहने के लिए हिंदू हैं.''

कभी हरिशंकर 'सौगंध राम की खाते हैं' के नारे लगाते थे, अब उनके घर में बने एक संकुचित से पूजा घर में राजस्थान के लोक देवता रामदेव, गौतम बुद्ध और अम्बेडकर सबसे बड़े भगवान हैं.

मैंने पूछा आरएसएस से कब से जुड़े हो? वो मुझे अतीत में ले गए, '' आरएसएस में बचपन से ही जाना शुरू किया. वहां हमें बताया गया कि पूरे समाज को समरस बनाना है. मुझे ये ठीक लगा. फिर मंदिर का मुद्दा आया. हमें विहिप ने बताया कि अपने हिंदुओं के मंदिर पर मुसलमानों ने क़ब्ज़ा कर लिया, उसे मुक्त कराना है. हम ये ही सोचकर गए कि सब हिंदू सामान है. सब भाई है.''

फिर ऐसा क्या हुआ कि वो अब विरोध में खड़े है.

बहका दिया है...

वो सिर्फ़ हिंदू-मुसलमानों की बात करते हैं. मगर जब दलित के साथ ज़ुल्म की बात आती है तो वो चुप हो जाते हैं.

हरीशंकर, चकवड़ा, जयपुर

हरिशंकर कहते हैं, '' जब तालाब से पानी की बात आई तो मैंने इनके व्यवहार में फ़र्क़ देखा. मैं विहिप के नेताओं के पास गया कि दलितों के साथ बुरा सलूक हो रहा है. मगर उन्होंने कोई रुचि नहीं ली. दलितों के साथ क़दम क़दम पर भेदभाव होता है. उन्हें मंदिर में नहीं जाने दिया जाता, उनकी शादियों में बारात पर हमले होते है. विवाह में बैंड बाजे नहीं बजाने देते. ये बात कई बार मैंने विहिप की बैठकों में उठाई. पर किसी ने रूचि नहीं ली.''

वो कहते हैं, '' वो सिर्फ़ हिंदू-मुसलमानों की बात करते हैं. मगर जब दलित के साथ ज़ुल्म की बात आती है तो वो चुप हो जाते हैं. हम पर विपत्ति आई तो गांव में विहिप समर्थक 50 लोग थे या तो वे ख़ामोश थे या भागीदार थे. मैंने विहिप वालों से कहा ये ठीक नहीं है. हम हिंदू धर्म से अलग हो जाएंगे.''

दूसरी ओर हिंदू संगठन कहते हैं कि इन दलितों को किसी ने बहका दिया है.

साधु-संत और धर्मग्रंथ कहते हैं कि न कोई ऊँचा है न कोई नीचा 'हरी को भजे सो हरी का होय.' मगर ये शायद ज़िंदगी का यथार्थ नहीं है.

न जाने क्यों जब भी कोई दलित मंदिर की देहरी चढ़ता है या फिर पोखर, तालाब, और कुएँ पर प्यास बुझाने के लिए हाथ बढ़ाता है, उसे उसका सामाजिक दर्जा याद दिलाया जाता है.

पर क्या आस्था और प्यास को ऊंच नीच में बांटा जा सकता है.

अयोध्या वीवाद, जब जब समय आगे बड़ा और....

*अयोध्या विवाद : प्रमुख घटनाओं की गवाह तारीखें * *1528* : बाबर के सेनापति मीर बाँकी द्वारा अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण। इसी जगह के बारे में कुछ वर्गों द्वारा दावा किया गया कि यहाँ भगवान राम का जन्म हुआ था और बाद में मंदिर बना था।** *1853* : पहली बार हिंदू-मुस्लिम संघर्ष।** *1855* : बाबरी मस्जिद के चारों ओर एक दीवार खड़ी की गई और समझौता हुआ कि पूजा-अजान अलग-अलग समय में संपन्न होंगे।** *22**/23 दिसंबर 1949 : *कुछ लोगों ने बाबरी मस्जिद के भीतर रामलला की मूर्ति स्थापित की। फौजदारी प्रक्रिया संहिता की धारा 145 के तहत मजिस्ट्रेट के आदेश से ढाँचे पर ताला लगा दिया गया। पुलिस सब-इंस्पेक्टर राम दुबे द्वारा कांस्टेबल माता प्रसाद की रिपोर्ट पर 23 दिसंबर को प्राथमिकी दर्ज।** 29 *दिसंबर 1949 : *फैजाबाद के जिलाधिकारी केके नायर ने विवादित संपत्ति अटैच की और नगर पालिका अध्यक्ष प्रियदत्त राम को वहाँ का रिसीवर नियुक्त किया। रिसीवर ने 5 जनवरी 1950 को कार्यभार संभाला। मुसलमानों को विवादित स्थल से 300 गज के दायरे में जाने पर रोक लगा दी गई, जबकि हिंदुओं को रामलला की पूजा की अनुमति दी गई।** 16 *जनवरी 1950 : *गोपालसिंह विशारद द्वारा सिविल जज की अदालत में मुकदमा। मूर्तियाँ न हटाने तथा पूजा की अनुमति देने के बाबत जज द्वारा अंतरिम आदेश पारित करने के साथ फैसला कि इस संपत्ति में कोई परिवर्तन नहीं होगा।** 21 *फरवरी 1950 : *मुसलमानों ने फिर से बाबरी मस्जिद के लिए दावा किया।** 5 *दिसम्बर 1950 : *रामचंद्र दास परमहंस ने जन्मभूमि मुक्ति के लिए अदालत में मुकदमा संख्या -25, 1950 दायर किया।** 26 *अप्रैल 1955 : *हाईकोर्ट ने सिविल जज के अंतरिम आदेश की पुष्टि की।** *1959* : निर्मोही अखाड़ा द्वारा विवादित संपत्ति की देखरेख के लिए रिसीवर की नियुक्ति रद्‌द कर मंदिर का कब्जा अखाडे़ को देने के लिए मुकदमा दर्ज किया।** 18 *दिसम्बर 1961 : *सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हकदारी मुकदमा दायर कर माँग की कि विवादित ढाँचे से मूर्तियाँ हटाई जाएँ। *1964* : बंबई में सांदीपनी आश्रम में विश्व हिंदू परिषद की स्थापना।** *1983* : काशीपुर में दाऊदयाल खन्ना ने राम जन्मभूमि मुक्ति का मुद्‌दा उठाया।* * 7-8 *अप्रैल 1984 : *दिल्ली में विहिप द्वारा आयोजित प्रथम धर्म संसद में राम जन्मभूमि मुक्त कराने का संकल्प लिया। ** 18 *जून 1984 : *दिगंबर अखाड़ा, अयोध्या में आयोजित संतों की सभा में दाऊदयाल खन्ना को जन्मभूमि मुक्ति अभियान समिति का संयोजक बनाया गया।** 21 *जुलाई 1984 : *महंत अवैद्यनाथ राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के अध्यक्ष, रामचंद्र दास परमहंस उपाध्यक्ष और ओंकार भावे मंत्री बने।** 25 *दिसम्बर 1984 : *सीतामढ़ी से अयोध्या को श्री राम-जानकी रथयात्रा शुरू।** 7 *अक्टूबर 1984 : *अयोध्या में एक बड़ी सभा में ताला खोलने की माँग।** 8 *अक्टूबर 1984 : *अयोध्या-लखनऊ के बीच राम-जानकी रथयात्रा निकली।** 14 *अक्टूबर 1984 : *महंत अवैद्यनाथ, दाऊदयाल खन्ना, परमहंस और अशोक सिंघल का एक शिष्टमंडल उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुखयमंत्री नारायणदत्त तिवारी से मिला और ताला खोलने के साथ वहाँ मंदिर बनाने की माँग की।** 16 *अक्टूबर 1984 : *दिल्ली के लिए राम-जानकी रथयात्रा चली। पर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या के कारण बीच में ही स्थगित करने की घोषणा।** 18 *अप्रैल 1985 : *महंत रामचंद्र दास परमहंस ने घोषणा की कि यदि रामनवमी तक ताला न खुला तो वे आत्मदाह कर प्राण त्याग देंगे।** 1 *फरवरी 1986 : *फैजाबाद के वकील यूसी पांडे की याचिका पर जिला न्यायाधीश केएम पांडे ने उन आदेशों को रद्‌द कर दिया, जिनके चलते विवादित ढाँचे पर ताला लगा था। मुख्य द्वार का ताला खोला गया। हिंदुओं को पूजा-अर्चना का अधिकार दिया गया। इसी माह मो. हाशिम ने अदालत में अपील दायर की।** 15 *फरवरी 1986 : *बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन।** *1987* : राम-जानकी रथयात्रा निकली और देश भर में राम जन्मभूमि मुक्ति समितियों का गठन। उ.प्र. सरकार ने रथ यात्राओं पर प्रतिबंध लगाया।** *जुलाई 1988 से नवंबर 1988 : *गृहमंत्री बूटा सिंह ने विभिन्न पक्षों के साथ वार्ता की।** 4 *अक्टूबर 1988 : *बाबरी कमेटी द्वारा अयोध्या में मिनी मार्च और लांग मार्च के साथ विवादित स्थल पर नमाज पढ़ने की घोषणा की। पर सरकार के अनुरोध पर इन कार्यक्रमों को वापस ले लिया।** 1 *फरवरी 1989 : *प्रयाग में कुंभ के मौके पर आयोजित संत सम्मेलन में 9 नवंबर 1989 को मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम की घोषणा।** 27-28 *मई 1989 : *हरिद्वार में 11 प्रांतों के साधुओं की बैठक, विहिप ने विवादित स्थल पर मंदिर बनाने के लिए 25 करोड़ रुपए एकत्र करने की घोषणा की।** *जून 1989 : *भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने विवादित ढाँचा हिंदुओं को सौंपने की माँग की।** 10 *जुलाई 1989 : *इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी मामले तीन न्यायाधीशों को पूरी बेंच द्वारा निपटाने का निर्णय लिया। अयोध्या विवाद के सभी मामले खंडपीठ के हवाले। ** 13-14 *जुलाई 1989 : *अयोध्या में बजरंग दल का शक्ति दीक्षा समारोह अयोजित।** 14 *अगस्त 1989 : *हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का अंतरिम आदेश दिया।** 22 *दिसंबर 1989 : *बोट क्लब, नई दिल्ली की जनसभा में साधुओं ने शिलान्यास कार्यक्रम में बाधा डालने पर सरकार को संघर्ष की चेतावनी दी।** 30 *सितंबर 1989 : *शिलापूजन कार्यक्रमों की शुरुआत।** 9 *नवंबर 1989 : *विभिन्न पक्षों के बीच निर्विवाद माने गए स्थल में प्रस्तावित राम मंदिर का शिलान्यास। बाद में भड़के दंगों में देश भर में 500 लोग मरे। स्वामी स्वरूपानंद ने कहा कि शिलान्यास दक्षिणायन में किया गया, लिहाजा शुभ नहीं माना जा सकता।** 10-11 *नवंबर 1989 : *कारसेवा की घोषणा सरयू तट से साधु संत और कार्यकर्ता कुदाल-फावड़ा लेकर चले पर जिलाधिकारी ने निर्माण कार्य नहीं होने दिया।** 28 *जनवरी 1990 : *विहिप द्वारा आयोजित प्रयाग संत सम्मेलन में 14 फरवरी 1990 से कारसेवा करने की घोषणा।** 6 *फरवरी 1990 : *प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने संतों से विवाद हल के लिए समिति गठन की घोषणा की। चार माह में समस्या समाधान का दावा।** 24 *जून 1990 : *हरिद्वार में साधुओं की बैठक। 30 अक्टूबर 1990 में मंदिर निर्माण की घोषणा के साथ कारसेवा समितियों का गठन।** 31 *अगस्त 1990 : *अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों की तराशी शुरू।** 23 *अगस्त 1990 : *महंत परमहंस ने 40 साल पहले दायर अपना मुकदमा वापस लिया। ** 25 *सितम्बर 1990 : *लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ अयोध्या तक 10 हजार किमी की यात्रा शुरू। ** 19 *अक्टूबर 1990 : *विवादित स्थल एवं समीपवर्ती क्षेत्र का अधिग्रहण करने के लिए राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद (क्षेत्र का अधिग्रहण) अध्यादेश, 1990 की घोषणा। यह अध्यादेश दिनांक 23 अक्टूबर 1990 को निरस्त कर दिया गया।** 22 *अक्टूबर 1990 : *अयोध्या पहुँचने से कारसेवकों को रोकने के सरकारी प्रयास तेज। उ.प्र. सरकार ने रेलगाड़ियों व बसों की तलाशी लेकर कारसेवकों को उतारा और गिरफ्तार किया। अशोक सिंघल गोपनीय तरीके से अयोध्या पहुँचे।** 23 *अक्टूबर 1990 : *समस्तीपुर (बिहार) में लालकृष्ण आडवाणी को बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने गिरफ्तार कराया। भाजपा ने वीपी सिंह सरकार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय मोर्चा सरकार से अपना समर्थन वापस लिया। ** 30 *अक्टूबर 1990 : *विवादित ढाँचे पर कारसेवकों ने भगवा ध्वज फहराया। मस्जिद की चारदीवारी क्षतिग्रस्त। देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव और दंगे भड़के।** 2 *नवम्बर 1990 : *बेहद आक्रामक कारसेवकों पर अयोध्या में पुलिस ने गोली चलाई।* * 1 *दिसम्बर 1990 : *प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने दोनों पक्षों को वार्ता की मेज पर बैठाकर समाधान की सार्थक पहल की पर विहिप की जिद से मामला यथावत रहा।** 6 *दिसम्बर 1990 : *अयोध्या में कारसेवा जारी रखने के लिए संघर्ष शुरू। विवादित ढाँचे को उड़ाने के प्रयास में शिवसेना कार्यकर्ता बंदी।** 4 *अप्रैल 1991 : *वोट क्लब, दिल्ली पर विहिप और साधुओं की विशाल रैली।** *जून 1991 : *आम चुनाव में पहली बार उत्तरप्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। भाजपा ने मंदिर निर्माण का संकल्प दोहराया।** 29 *सितंबर 1991 : *ऋषिकेश में विहिप मार्गदर्शक मंडल की बैठक में अयोध्या के अलावा काशी, मथुरा समितियों की भी घोषणा की गई।** 7-10 *अक्टूबर 1991 : *उ.प्र. सरकार के पर्यटन विभाग ने विवादित स्थल से लगी 2.77 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया। इस भूमि पर बने कई पुराने मंदिर ध्वस्त। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अदालत में चुनौती दी। अदालत ने स्थायी निर्माण न करने और जमीन का मालिकाना हक न बदलने का आदेश दिया।** 31 *अक्टूबर 1991 : *कुछ लोगों ने ढाँचे पर हमला कर उसकी दीवारों को क्षति पहुँचाई। 2 नवमंबर 1991 : राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री कल्याणसिंह ने विवादित ढाँचे की सुरक्षा का आश्वासन दिया।** *दिसम्बर 1991 : *अयोध्या में विभिन्न सुरक्षा उपायों को हटाया गया।** *फरवरी 1992 : *अयोध्या में सीमा दीवार (राम दीवार) का निर्माण शुरू।** *मार्च 1992 : 1988-1989 *में अधिग्रहीत 42 एकड़ भूमि उप्र सरकार ने राम जन्मभूमि न्यास को रामकथा पार्क निर्माण के लिए प्रदान की।** *मार्च-मई 1992 : *अधिग्रहीत भूमि के सभी ढाँचे ध्वस्त। वृहद खुदाई और समतलीकरण का कार्य तेज। हाईकोर्ट ने इन कार्यों को रोकने से इनकार किया।** *अप्रैल 1992 : *राष्ट्रीय एकता परिषद के शिष्टमंडल का अयोध्या दौरा।** 8 *मई 1992 : *विहिप समर्थक साधुओं ने प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव से मुलाकात की।** *जुलाई 1992 : *विहिप के तत्वावधान में 9 जुलाई को कंक्रीट चबूतरे का निर्माण शुरू। गृहमंत्री शंकर राव चव्हाण का अयोध्या दौरा। प्रधानमंत्री से वार्ता के बाद 26 जुलाई को चार बजे कारसेवा बंद करने की घोषणा।** 23 *जुलाई 1992 : *सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बहाल रखने का फैसला सुनाया।** *अगस्त-सितम्बर 1992 : *प्रधानमंत्री कार्यालय में अयोध्या प्रकोष्ठ का गठन। कई धार्मिक नेताओं ने प्रधानमंत्री नरसिंह राव से मुलाकात की।** 16 *अक्टूबर 1992 : *प्रधानमंत्री के साथ विहिप नेताओं की दूसरी बैठक।** 23 *अक्टूबर 1992 : *पुरातत्विक सामग्री के अध्ययन के लिए बैठक। ** 31 *अक्टूबर 1992 : *पाँचवीं धर्म संसद में 6 दिसंबर से कारसेवा शुरू करने की घोषणा। ** 8 *नवम्बर 1992 : *केंद्र सरकार के साथ विहिप की तीसरी और आखिरी बैठक।** 10 *नवम्बर 1992 : *विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से प्रधानमंत्री राव की वार्ता। विवादित ढाँचे की रक्षा का संकल्प दोहराया गया।** 23 *नवम्बर 1992 : *राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में भाजपा का बहिष्कार। ढाँचे की रक्षा के लिए सर्वसम्मत प्रस्ताव।** 25 *नवम्बर 1992 : *सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कारसेवा रोकने के लिए उचित कार्रवाई का अधिकार दिया।** 26 *नवम्बर 1992 : *केंद्रीय अर्धसैन्य बलों की 90 कंपनियाँ अयोध्या पहुँचीं।** 27 *नवम्बर 1992 : *उप्र की कल्याणसिंह सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा कि किसी भी हालत में अधिग्रहीत जमीन पर निर्माण कार्य नहीं होगा।** 28 *नवम्बर 1992 : *उप्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि केवल सांकेतिक कारसेवा होगी और स्थायी या अस्थायी निर्माण नहीं होगा। 29 *नवम्बर 1992 : *मुरादाबाद के जिला जज तेजशंकर अयोध्या की हालत पर निगरानी रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा पर्यवेक्षक नियुक्त।** 30 *नवम्बर 1992 : *अयोध्या की स्थिति पर नई दिल्ली में केंद्रीय मत्रिमंडल की बैठक। ** 2 *दिसम्बर 1992 : *प्रधानमंत्री ने उच्चस्तरीय बैठक कर हालत की समीक्षा की। वाराणसी में लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि उप्र सरकार किसी भी हालत में अयोध्या में कारसेवकों के विरुद्ध बल प्रयोग नहीं करेगी और कारसेवा हर हाल में होगी।** 4 *दिसम्बर 1992 : *फैजाबाद में कांग्रेस का शांति मार्च पुलिस ने रोका, जितेंद्र प्रसाद, नवल किशोर शर्मा, शीला दीक्षित और जगदम्बिका पाल समेत कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गिरफ्तार। ** 5 *दिसम्बर 1992 : 6 *दिसम्बर को 12.30 बजे कारसेवा शुरू करने की घोषणा। कहा गया कि राम चबूतरे की सफाई के साथ भजन-कीर्तन जैसे कार्यक्रम होंगे।** 6 *दिसम्बर 1992 : *कारसेवकों ने 5 घंटे 45 मिलट में बाबरी मस्जिद ध्वस्त की। पत्रकारों और छायाकारों पर हमला। अयोध्या के सारे मुसलमान बेघर, कई धर्मस्थलों को नुकसान पहुँचाया गया। अयोध्या में इस दिन करीब तीन लाख कारसेवक जमा थे।** 7 *दिसम्बर 1992 : *कारसेवा दिन भर चलती रही। *पाकिस्तान और बंगलादेश में कई मंदिर तोडे़ गए* और देश में सांप्रदायिक उन्माद फैला। लालकृष्ण आडवाणी ने नैतिकता के आधार पर लोकसभा में विपक्ष के नेता पद से त्यागपत्र दिया।** 7*/8 दिसम्बर 1992 : *रात में केंद्रीय अर्धसैन्य बलों ने विवादित परिसर पर अपना नियंत्रण कायम किया। विशेष बसें और रेलगाड़ियाँ चलाकर कारसेवकों को अयोध्या से बाहर निकाला गया।** 8 *दिसम्बर 1992 : *लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल, उमा भारती, विनय कटियार और विष्णु हरि डालमिया समेत कई नेता गिरफ्तार। ** 10 *दिसम्बर 1992 : *आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, जमायते इस्लामी तथा इस्लामी सेवक संघ पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। ** 16 *दिसम्बर 1992 : *पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस मनमोहनसिंह लिब्रहान के नेतृत्व में एक सदस्यीय आयोग का गठन। आयोग को ढाँचे के विध्वंस में उप्र के मुखयमंत्री, मंत्रियों, अधिकारियों, संगठनों की भूमिका, सुरक्षा प्रबंधन में खामियाँ और मीडिया पर हमलों की जाँच करने का दायित्व सौंपा गया। आयोग को तीन माह के भीतर और 16 मार्च 1993 को रिपोर्ट सौंपने को भी कहा गया।** 16 *दिसम्बर 1992 : *राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा हिमाचल की भाजपा सरकारें बर्खास्त।** 19 *दिसम्बर 1992 : *सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के सिलसिले में उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याणसिंह, मुख्य सचिव प्रभात कुमार, संयुक्त सचिव जीवेश नंदन, पर्यटन सचिव आलोक सिन्हा, फैजाबाद के जिलाधिकारी आरएन श्रीवास्तव तथा अपर जिलाधिकारी उमेश चंद्र तिवारी न्यायालय में तलब।** 7 *जनवरी 1993 : *राव सरकार ने विवादित स्थल के पास 67 एकड़ जमीन का अधिगृहण किया। रामकथा पार्क बनाने की योजना। सुप्रीम कोर्ट ने अधिग्रहण को उचित मानते हुए कहा कि न्यास की 43 एकड़ जमीन भी अविवादित है।** 5 *अक्टूबर 1993 : *विशेष सत्र न्यायालय ने 40 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर करने का आदेश दिया।** 24 *अक्टूबर 1994 : *सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के जमीन अधिग्रहण के फैसले को उचित बताया और कहा कि वह इस जमीन की देखरेख का काम ट्रस्टों को सौंप सकती है। ** 1998 : केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में राजग सरकार का गठन। अटलबिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, लालकृष्ण आडवाणी गृहमंत्री। विहिप तथा साधुओं ने राममंदिर आंदोलन धीमा चलाने का फैसला लिया।** 10 *जून 1998 : *प्रधानमंत्री वाजपेयी ने लिब्रहान आयोग की समयावधि बढ़ाने की घोषणा की।** 17 *दिसम्बर 1998 : *केंद्रीय गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने बाबरी मस्जिद गिराने की कार्रवाई को शर्मनाक बताते हुए माफी माँगी।** 25 *अक्टूबर 1998 : *मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशने के लिए कार्यशाला खोली। ** 27 *जुलाई 2000 : *लिब्रहान आयोग ने कल्याणसिंह को पेश करने के लिए जमानती वारंट जारी किया। 18-21 *जनवरी 2001 : *प्रयाग में कुंभ मेले के दौरान धर्म संसद की बैठक में 12 मार्च 2002 से राम मंदिर निर्माण शुरू करने का फैसला।** 17 *अक्टूबर 2001 : *विहिप नेता अशोक सिंघल जबरिया रामलला का दर्शन करने पहुँचे। विवाद गहराया पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं।** 27 *जनवरी 2002 : *अदालती आदेश के बावजूद विहिप का मंदिर बनाने का ऐलान। प्रधानमंत्री कार्यालय में शत्रुघ्नसिंह के नेतृत्व में अयोध्या सेल का दोबारा गठन। विहिप नेताओं की प्रधानमंत्री से वार्ता, पर कोई आश्वासन नहीं मिला।** *फरवरी 2002 : *उप्र भाजपा ने अपने चुनाव घोषणापत्र में मंदिर निर्माण की प्रतिबद्धता से खुद को अलग किया। 15 हजार कारसेवक अयोध्या पहुँचे।** 16 *फरवरी 2002 : *प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने कहा कि दोनों पक्षों ने अगर अपना रुख यथावत रखा तो विवाद निपटाने का एकमात्र रास्ता अदालती फैसला ही होगा।** 27 *फरवरी 2002 : *गोधरा (गुजरात) में अयोध्या से कारसेवा कर लौट रहे रामसेवकों की ट्रेन में जलने से मौत के चलते गुजरात में भारी दंगा और हिंसा।** 5 *मार्च 2002 : *विहिप और न्यास ने अदालती आदेश मानने की घोषणा की।** 6 *मार्च 2002 : *केंद्र सरकार ने अयोध्या मामले की जल्दी सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।** 13 *मार्च 2002 : *सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिग्रहीत भूमि पर कोई गतिविधि नहीं होगी। ** 23 *जून 2002 : *विहिप ने अदालती आदेशों को मानने से मना किया, जबकि बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने कहा आदेश मानेंगे।** 5 *मार्च 2003 : *इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल की असलियत जानने के लिए खुदाई का आदेश दिया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने खुदाई शुरू कराई।** 22 *जनवरी 2003 : *लिब्रहान आयोग ने साक्ष्य दर्ज करने का कार्य पूरा किया।** 22 *अगस्त 2003 : *भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने खुदाई की रिपोर्ट सौंपी।** 2 *सितंबर 2003 : *लिब्रहान आयोग ने कल्याणसिंह को गैर जमानती वारंट जारी किया। ** 30 *जून 2009 : *जस्टिस (सेवानिवृत्त) मनमोहनसिंह लिब्रहान ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह तथा केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिंदाबरम को 900 पेज की अयोध्या की जाँच रिपोर्ट सौंपी। आयोग ने 399 बार सुनवाई की, उसका 48 बार विस्तार हुआ आठ करोड रुपए से अधिक की राशि खर्च हुई। रिपोर्ट देने में 16 साल 7 माह लगा।** 22 *नवंबर 2009 : *लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट लीक होने पर संसद में भारी हंगामा। ** 24 *नवंबर 2009 : *संसद में केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिंदबरम ने लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट तथा 13 पृष्ठ की एटीआर पेश की। सरकार ने कहा, दोषियों को सजा मीलेगी

मंगलवार, मई 11, 2010

Housale ho buland

Housale ho buland to har muskil ko aashan bana dege, chhoti tahaniyo ki kya bisat, hum bargad ko hila dege. wo aur hai jo naith jate hai thak kar manjil se pahle, hum buland housalo ke dum par aashma ko jhuka denge.

Woh College ke din....

Kuch baate bhuli hui, kuch pal beete hue, Har galti ka ek naya bahana, aur fir sabki nazar me aana, Exam ki puri raat jagna, fir bhi sawal dekhke sar khujana, Mauka mile to class bunk marna, fir doston k sath canteen jana USKI ek jhalak dekhane roj college jana, usko dekhte dekhte attendance bhul jana, Har pal hai naya sapna, aaj jo tute fir bhi hai apna, Ye college ke din, In lamho me jindagi jee bhar ke jeena, Yaad karke in palon ko, Fir jindagi bhar muskurana

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