हर दुर्घटना हमेशा केवल दुःख ही नहीं लाती है, कभी कभी अनचाहे में सुख भी लेकर आती है.... जैसे इशी फोटो को ही ले लीजिये आज तक Oknext
ने न जाने कितनो के लिए डेटा रिकवरी का काम किया पर खुद के खोये डेटा के
लिए कभी समय ही नहीं निकाल पायी। न जाने कैसे 500 GB की हमारी हार्डडिस्क
क्रैश कर गयी, फिर क्या अब मजबूरी था समय निकालना, काम शुरु हुआ और निकलने
लगे दस-दस, बारह साल पुराने खोये हुए डेटा। उन्ही में से एक ये फोटो भी है
जिसमे मै और मेरी छोटी बहन है. जो की आज से लगभग दस साल पहले ली गयी थी।
जबकी पिछले दस सालो में हार्डडिस्क को न जाने कितनी बार फॉर्मेट किया जा
चुका था।
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गुरुवार, जुलाई 24, 2014
बुधवार, जुलाई 23, 2014
कॉलेज के वो दिन
कॉलेज
के वो दिन भी क्या मस्ती भरे हुआ करते थे, हम किसी भी मौके को बस ढूढ़ा
करते थे और यही कोशिश करते थे की आया हुआ ये मौका छूट न जाये। शहर के बीचों
बीच सिविल लाइन में घर होने की वजह से इन मौको को अक्सर तलाशने और भुनाने
का माध्यम बनता था मै और मेरा घर। उन्ही मौको में से एक मौके पर की ये फोटो
आज से लगभग आठ साल पहले, प्रिन्सी के बर्थडे पर ली गयी थी। हम सब जैसे तब
थे वैसे ही अब भी है, बदला है तो केवल समय।
जिसकी कमी अब हम सबको है। आदर्श और कृष्णा में पंडित और बनिया वाली लड़ाई
तब भी होती थी और अब भी, दीपक का दिल दरिया तब भी था और अब भी, मेरा हाल तो
पूछिये ही मत। आज से लगभग चार साल पहले हमने Chiragan
नाम की NGO डाली जिसे हम सब मिलकर पूरी लगन से अब भी चला रहे है। बाकी
कृष्णा HCL में काम कर रहा है तो आदर्श अपने प्रॉपर्टी के बिज़नेस में लगा
हुआ है। दीपक ह्यूमन राइट से जुड़ कर लगातार कई सारे मूवमेंट से जुड़ा हुआ है
तो वही मैं Ok Next
नाम से एक कंपनी चला रहा हु। वर्तमान में व्यस्त सब है, पर कालेज की आदत
अब तक गयी नहीं है, गाहे बगाहे मस्ती के लिए फुर्सत हम अब भी निकाल ही लेते
है।
मंगलवार, मार्च 25, 2014
अभी सूरज नहीं डूबा, पहले नाम होने दो.…! किंजल
बहुत
दिनों से कोई पोस्ट नहीं डाला था, अब क्या करता। थी ही कुछ ऐसी
अवस्था-व्यस्तता, इस दौरान कई इवेंट बीते, कई नये पुराने लोगो से
मिलना-बिछड़ना हुआ, काफी कुछ सीखने को भी मिला पर लगा अभी काफी कुछ सीखना भी
बाकी है, शायद जिंदगी भी सीखने का ही नाम है.…… इस सीखने सिखाने के सफ़र
में मै कभी आत्मविश्वास से इतना भर जाता की लगता "अब तो समय हमारा है" और
कभी इतना टूट जाता कि लगता "अब तो कुछ न बचा यारो" इस बीच कभी लाखो में
खेला तो कभी अठन्नी को भी टहला। कभी यारो कि जमघट लगाये बैठा तो कभी एक साथ
को भी तरसा……… और भी न जाने क्या क्या हुआ.…… पर इस पूरे क्रम में, मेरी
आपबीती से, मेरे मन से अभी जो भाव निकल रहे है वो कुछ ऐसे है ..........
गौर कीजियेगा …… 

सोमवार, मार्च 25, 2013
शुक्रवार, दिसंबर 16, 2011
मंगलवार, सितंबर 20, 2011
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