गुरुवार, मार्च 07, 2013

कुम्भ पर आने वाली डाक्यूमेंट्री फिल्म के कुछ अंश भाग 2

खैर कुम्भ के बीतने  के बाद जब हमने सोचना सुरु किया की हमारी यादो में कुम्भ से जुड़ा क्या क्या रह गया? हमने पाया की कई सारी ऐसी यादे रह गयी जिनको भूलना भी चाहे तो नहीं भूल सकते जैसे की 1- संगम में दुबकी लगाता वो जनसमूह जो सुबह देखता न शाम, ठण्ड देखता न बरसात, भूख देखता न प्यास, बस देखता तो सूर्य को अर्ध्य देते हुए अपना भूत भविष्य और वर्तमान। 2- घास फूंश, टिन तम्बुओ से बना, उसमे बसा विश्व का सबसे बड़ा नगर जो की अब अतीत का हिस्सा है। 3- अजीबो गरीब हठयोग करता साधू संतो नागाओ का अनदेखा अनसुलझा विश्वाश। 4- नारी के सोलह श्रींगार से बढ़कर होता नागाओ का श्रींगार। 5- रेत पर लोहो की बनी मिलो मिल डगर। 6- पानी पर तैरते दर्जनों पूलों से लेकर तारो पर लटके हाइवे का अदभुत जमघट। 6- करोड़ो की आस्था के ऊपर से छुक छुक करती, धुआ उड़ाती, गुजरती रेल। और न जाने कितनी कुछ ऐसी ही बाते,..... पर क्या ये सभी बाते हम एक फिल्म से सबको दिखा कर समझा सकते है? शायद नहीं, क्योकि कुम्भ देखने का नहीं महसूश करने का नाम है।

मंगलवार, मार्च 05, 2013

कुम्भ पर आने वाली दोकुमेंट्री फिल्म


सड़क चौराहों, गावो कस्बो और देश विदेश से श्रधालुओ का जत्था लगातार कुम्भ पहुच रहा था, बच्चो युवाओं का उत्साह, दादा दादी की आस्था पूरे वेग से उछाल मार रही थी। कोई डूबकी लगा रहा था तो कोई भष्म लगाकर झूम रहा था, कोई आचमन कर रहा था तो कोई आरती उतार रहा था। जल, जनसमूह और जत्थों का अनूठा मिलन दिख रहा था, फर्क करना मुश्किल था कौन अमीर था कौन गरीब?, कौन देशी था कौन परदेशी? पर हा कुछ सामान था सबमे तो वो था गंगा के प्रति आस्था और उसमे अटूट विश्वाश। ये कुछ अंश है चिरागन की कुम्भ पर आने वाली दोकुमेंट्री फिल्म के जिसको बनाने में मै और मेरे कई सहयोगी बड़ी सिद्दत से लगे है आशा है ये अंश आपको पसंद आये होंगे। [किंजल]

सोमवार, फ़रवरी 11, 2013

कुटी के अन्दर एलसीडी


 
पिछले पोस्ट में मैंने अखाड़ो और आश्रम के अन्दर की बाते लिखी थी इस बार मै थोडा और अन्दर गया और एक पंजाब से आये बाबा की कुटी के अन्दर घुसा तो देखा की बाबा जी अपने साथ सोनी की 42" की एलसीडी साथ लाये है और क्रिकेट नामक विद्या पर अपने भक्तो के साथ दन्लफ़ के गद्दे पर बैठ कर साधना कर रहे है, बाबा जी की कठिन साधना से प्रभावित होके मैंने सोचा बाबा जी की फोटो खीचने के बहाने बाबा जी की साधना की भी फोटो खीच लूँगा, तभी उनका चेला आया और बोल "Photo not allowed without 100 rupese per photo payment" जो की मेरे बस की बात नहीं थी फिर क्या? बाहर निकला और chintoo कैमरे से चुपके से फोटो ले ली, बाबा जी की साधना और उनके चेले की रिक्वेस्ट देखकर साथ चल रहे मेरे मित्र के मुह से बरबस ही निकल पड़ा "हे प्रभु, अगले जनम मोहे "बाबा" ही कीजो" तभी एक बाबा आये और बोले तथास्तु, आशीर्वाद। किंजल