आज राहुल गांधी का प्रेस कॉन्फ्रेंस देखा रहा था, पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस सुनने के बाद लगा कि हां चलो लौंडा अब मेच्योर हो गवा लौंडा अब बड़ा हो गवा हैं। लौंडा अब समझदारी की बातें कर रहा है। इधर उधर की बात नै कर रहा है कौन समय पर कैसे जवाब देना है कहां पर तर्क करना है कहां पर वितर्क करना है ओका आगवा और सबसे बड़ी बात कौन से सवालन के छोड़ना है और केके साथ रहना है ई बात ओकरे समझ में आई गई। पर इ सब हुआ कैसे एतना बदलाव ओकरें में आवा कैसे? सोचो।
हमका लग रहा है अब ओकर दिन बदले वाला है, अइसन सबके साथ होत है, लौंडे जब तक स्कूल कॉलेज जाते हैं तब तक उनका गुमान रहत है अबे हम ही सर्वश्रेष्ठ हैं फेर आेकरे बाद शुरू होता है हमसे बढ़कर कौन है बे? फिर कुछ साल माई दादा के पैसा से घूमत रहत है, तफरीबाजी करत रहत है और गर्व से कहते रहते है तैयारी कर रहे हैं स्ट्रगल कर रहे हैं बे, कुछ दिन बाद देखेव हम कहा रहब। फेर कुछ साल बाद अपने अगल-बगल के उन लोगों को देखते हैं जो उनसे जिंदगी की रेस में काफी पीछे थे अब उनसे आगे निकल चुके हैं और कुछ निकलने की ओर बढ़ चुके हैं, और उ ससुर बस इ खयाली पुलाव में बैठा है कि हमरो दिन बदलीगा हमसे अच्छा कौन है बे।
कुछ होत है जाऊं अब्बो नै मानत हैं और ख्याली पुलाव में बैठे रहत हैं।
वही कुछ होते हैं जो जागते है और अपने से कहत है बेटा अब संभल जो बहुत होई चुकी अय्याशी, माई बाप के बहुत पैसा उड़ाय चुकेव, अब तो उ समय आगवा है कि घर वाले तुमका धिक्कारे लगे हैं दोस्त यार तुम्हार साथ छोड़े लगे हैं काहे कि उनका तुम्हारे जैसन नै बनना है, तुम्हार छोट भाई बहन रिश्तेदार तुमसे आगे निकल गएन है, जौन तुम्हार चार पांच ठो एक्स रहिन उ आपन लड़कन बच्चन के साथ विदेश घुमत हैं और तुम ससुर अभैनव आपन जैसन लौन्डन के साथ ए गुमान में तफरीबाजी कर रहे हो कि तुमसे बढ़िया कौन। बेटा अब संभल जाओ नै तो.........
कुछ ऐसने समय चल रहा है अब राहुल के साथ, उ शायद अब संभल चुका है, ओके बहिन ओसे आगे निकले लगी है, ओके लंगोटिया दोस्त यार जौनेका संसद में आंख मारे रहा, जेके साथ विदेशन में घुमत रहा जैसन कई ठो दोस्त यार अब ओका छोड़ के जाए लगे है। और एक्स तो........... का बताई लिखब तो कहबो प्रमाण दो।
खैर ई बदलाव अच्छा है। शायद कांग्रेस के भला होई जाए और इ भले के साथ मजबूत विपक्ष के नाते देश का भी। वैसे जो भी आज सत्ता में है कल विपछ में होगा और जो विपछ में है वह कल सत्ता में भी। परिवर्तन सृष्टि के नियम है।
राहुल के ई पूरे परिवर्तन के कहानी में कई लोगन के ऐसा लग रहा होगा यार ई कहानी तो हमारे है ऐसा तो हमरे साथ हो चुका है या हो रहा है। ऊ जब बैठ के सोच रहे है तो उनका दिख रहा है हमरो कई ठो दोस्त यार छोड़ के जाई चुके है, उ सारे और रिश्तेदार केतना आगे निकल चुके है और एक्स तो........।
हम साला अभैन तक दुनिया में पुदीने बो रहे है।
तो बाबा लोगन जब राहुल बदल शकत है तो तुम्हउ लोग बदलो। नै तो जिंदगी की रेस में झंड हो जाबो और फिर कहां जाबो ई तो समयवे बताइएगा।
एक बात और अगर बदले के सोच लिए हो तो एक बात जरूर ध्यान रखेंव ऊ जौन पहले वाला घमंड, अहंकार वाला एटीट्यूड रहा ना कि हमसे बढ़कर कौन, ओका साइड रख दियो काहे की सब समय तो तुम निकाल दियेव हो सोना बाबू और आपन जैसन लौन्डन के साथ स्ट्रगल करे में।।
(इस पूरे लेख में कई जगहों पर लोकल इलाहाबादी शब्दों, भाषा का प्रयोग किया हूं, जिनको अटपटी लग रही हो कृपया वो इसे अपनी शुद्ध भाषा में पढ़े और लिखे।)
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