कॉलेज
के वो दिन भी क्या मस्ती भरे हुआ करते थे, हम किसी भी मौके को बस ढूढ़ा
करते थे और यही कोशिश करते थे की आया हुआ ये मौका छूट न जाये। शहर के बीचों
बीच सिविल लाइन में घर होने की वजह से इन मौको को अक्सर तलाशने और भुनाने
का माध्यम बनता था मै और मेरा घर। उन्ही मौको में से एक मौके पर की ये फोटो
आज से लगभग आठ साल पहले, प्रिन्सी के बर्थडे पर ली गयी थी। हम सब जैसे तब
थे वैसे ही अब भी है, बदला है तो केवल समय।
जिसकी कमी अब हम सबको है। आदर्श और कृष्णा में पंडित और बनिया वाली लड़ाई
तब भी होती थी और अब भी, दीपक का दिल दरिया तब भी था और अब भी, मेरा हाल तो
पूछिये ही मत। आज से लगभग चार साल पहले हमने Chiragan
नाम की NGO डाली जिसे हम सब मिलकर पूरी लगन से अब भी चला रहे है। बाकी
कृष्णा HCL में काम कर रहा है तो आदर्श अपने प्रॉपर्टी के बिज़नेस में लगा
हुआ है। दीपक ह्यूमन राइट से जुड़ कर लगातार कई सारे मूवमेंट से जुड़ा हुआ है
तो वही मैं Ok Next
नाम से एक कंपनी चला रहा हु। वर्तमान में व्यस्त सब है, पर कालेज की आदत
अब तक गयी नहीं है, गाहे बगाहे मस्ती के लिए फुर्सत हम अब भी निकाल ही लेते
है।
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