बहुत
दिनों से कोई पोस्ट नहीं डाला था, अब क्या करता। थी ही कुछ ऐसी
अवस्था-व्यस्तता, इस दौरान कई इवेंट बीते, कई नये पुराने लोगो से
मिलना-बिछड़ना हुआ, काफी कुछ सीखने को भी मिला पर लगा अभी काफी कुछ सीखना भी
बाकी है, शायद जिंदगी भी सीखने का ही नाम है.…… इस सीखने सिखाने के सफ़र
में मै कभी आत्मविश्वास से इतना भर जाता की लगता "अब तो समय हमारा है" और
कभी इतना टूट जाता कि लगता "अब तो कुछ न बचा यारो" इस बीच कभी लाखो में
खेला तो कभी अठन्नी को भी टहला। कभी यारो कि जमघट लगाये बैठा तो कभी एक साथ
को भी तरसा……… और भी न जाने क्या क्या हुआ.…… पर इस पूरे क्रम में, मेरी
आपबीती से, मेरे मन से अभी जो भाव निकल रहे है वो कुछ ऐसे है ..........
गौर कीजियेगा ……
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