खैर कुम्भ के बीतने के बाद जब हमने सोचना सुरु किया की हमारी यादो में कुम्भ से जुड़ा क्या क्या रह गया? हमने पाया की कई सारी ऐसी यादे रह गयी जिनको भूलना भी चाहे तो नहीं भूल सकते जैसे की 1- संगम में दुबकी लगाता वो जनसमूह जो सुबह देखता न शाम, ठण्ड देखता न बरसात, भूख देखता न प्यास, बस देखता तो सूर्य को अर्ध्य देते हुए अपना भूत भविष्य और वर्तमान। 2- घास फूंश, टिन तम्बुओ से बना, उसमे बसा विश्व का सबसे बड़ा नगर जो की अब अतीत का हिस्सा है। 3- अजीबो गरीब हठयोग करता साधू संतो नागाओ का अनदेखा अनसुलझा विश्वाश। 4- नारी के सोलह श्रींगार से बढ़कर होता नागाओ का श्रींगार। 5- रेत पर लोहो की बनी मिलो मिल डगर। 6- पानी पर तैरते दर्जनों पूलों से लेकर तारो पर लटके हाइवे का अदभुत जमघट। 6- करोड़ो की आस्था के ऊपर से छुक छुक करती, धुआ उड़ाती, गुजरती रेल। और न जाने कितनी कुछ ऐसी ही बाते,..... पर क्या ये सभी बाते हम एक फिल्म से सबको दिखा कर समझा सकते है? शायद नहीं, क्योकि कुम्भ देखने का नहीं महसूश करने का नाम है।
Hume intajaar rahega aapki documentary film ka, film banane ke baad aap uska link bhi post kijiyega.
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